क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने के 83 साल बाद मामले की दोबारा सुनवाई होगी. लाहौर पुलिस को 1928 में यहां एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर में इन क्रांतिकारीयों के नाम का जिक्र नहीं मिला है. पाकिस्तान के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने मामले को दोबारा खोलने के लिए लाहौर हाईकोर्ट में 2013 में आवेदन दाखिल किया था.
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